Saturday, February 11, 2017

मैं वत्स हूं।


हारा हुअा हूं,
टूटा भी हूं
बिखरा भी हूं
छिन्न भिन्न हूं
कण - कण मे मिला मैं हूं
अभ्यथ हूं
असमथॅ हूं
फिर भी;
निबॅल का बल हूं
अचल हूं
अटल हूं
मैं शिखर का ध्वज हूं
मैं वत्स हूं
मैं वत्स हूं

पाचीनतम इतिहास हूं
अग्नि सा हूं
परचंड हूं

अग्नि के कुल का वत्स हूं
मैं बाहम्ण हूं
मैं क्षत्तिय हूं

  
हार जीत का अभ्यथ हूं

मैं वत्स हूं
मैं वत्स हूं।

                                                -सुधीर सिंह वत्स

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