किसने पाया किसने गवाया,
दुनिया तो है बस एक माया।
न कुछ पाया,
न कुछ लाया,
फिर भी अहम क्यों कमाया,
इस संसार में क्यों तू आया।
खूब खाया,
खूब कमाया,
खूब रुलाया,
खूब सुलाया,
माया ने क्या खेल रचाया।
न अत्ति छाया,
न अत्ति माया,
न अत्ति अहम,
न अत्ति वहम,
न वह रोये,
न ही सोये,
न वो खोता,
न वो बोता,
न ही करे,
न ही भरे,
सबसे परे,
करे हरे हरे।
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